तुम मुझको कब तक रोकोगे

Motivational Poetry In Hindi | तुम मुझको कब तक रोकोगे

मुट्ठी में कुछ सपने लेकर , भरकर जेबों में आशाएं।

दिल में है अरमान यही , कुछ कर जाएं कुछ कर जाएँ

सूरज सा तेज नहीं मुझमें , दीपक सा जलता देखोगे

अपनी हद रोशन करने से , तुम मुझको कब तक रोकोगे

तुम मुझको कब तक रोकोगे

मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है

बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु से जीवन  खींचा है

मैं पत्थर लिखी इबारत हूँ शीशे से कब तक तोड़ोगे

मिटने वाला में नाम नहीं  तुम मुझको कब तक रोकोगे

तुम मुझको कब तक रोकोगे

इस जग में जितने जुल्म  नहीं , उतने सहने की ताकत है

तानों के भी शोर में रहकर सच कहने की आदत है

में सागर से गहरा हूँ , तुम कितने कंकड़ फेंकोगे

चुन चुन कर आगे बढूंगा में   तुम मुझको कब तक रोकोगे

तुम मुझको कब तक रोकोगे

झुक झुक कर सीधा खड़ा हुआ , अब फिर झुकने का शौक नहीं

अपने ही हाथों रखा स्वयं  तुमसे मिटने का खौफ नहीं

तुम हालातों की भट्टी में जब जब भी मुझको झोंकोंगे

तब तपकर सोना बनूंगा मैं तुम मुझको कब तक रोकोगे

तुम मुझको कब तक रोकोगे