Panchayati Raj Vyavastha In Hindi
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पंचायती राज संस्थान :-
पंचायती राज संस्थान भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की एक प्रणाली है।
73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थान को संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई और उन्हें देश में ग्रामीण विकास का कार्य सौंपा गया।
वर्ष 1957 में राष्ट्रीय विकास परिषद ने सामुदायिक विकास कार्यक्रम के कार्यकरण पर विचार करने हेतु बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।
समिति ने त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का सुझाव दिया-
1. ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत
2. प्रखंड (ब्लॉक) स्तर पर पंचायत समिति
3. ज़िला स्तर पर ज़िला परिषद
लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की यह योजना सर्वप्रथम 2 अक्तूबर, 1959 को राजस्थान में शुरू की गई।
वर्ष 1977 में अशोक मेहता समिति की नियुक्ति ने पंचायत राज की अवधारणाओं और रीतियों में नए दृष्टिकोण का सूत्रपात किया।
समिति ने द्विस्तरीय पंचायत राज संरचना की अनुशंसा की जिसमें ज़िला परिषद और मंडल पंचायत शामिल थे।
पंचायती राजव्यवस्था में सुधार हेतु गठित समितियां :-
बलवंत राय मेहता समिति (1957)
अशोक मेहता समिति ( 1977)
जी.वी.के. राव समिति (1985)
एल.एम. सिंघवी समिति (1986)
64 वां संविधान संशोधन (1989)
73 वां संविधान संशोधन (1993)
प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान सितंबर 1991 में 72वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में एक व्यापक संशोधन प्रस्तुत किया गया।
73वें और 74वें संविधान संशोधन को दिसंबर, 1992 में संसद द्वारा पारित कर दिया गया। इन संशोधनों के माध्यम से ग्रामीण और शहरी भारत में स्थानीय स्वशासन की नींव डाली गई।
24 अप्रैल, 1993 को संविधान (73वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992 और 1 जून, 1993 को संविधान (74वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992 के रूप में ये कानून प्रवर्तित हुए।
73 वां संविधान संशोधन की मुख्य बातें :-
पंचायती राज से सम्बंधित है इसके द्वारा संविधान के भाग 9 अनुच्छेद 243 ( क से ण तक) तथा अनुसूची 11 का प्रावधान किया गया है। ।
1. इसके द्वारा पंचायती राज के त्रिस्तरीय ढांचे का प्रावधान किया गया है। ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत , प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद् के गठन की व्यवस्था की गई है।
2. पंचायती राज संस्था के प्रत्येक स्तर में एक तिहाई स्थानों पर महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
3. इसका कार्यकाल पांच वर्ष निर्धारित किया गया है। पंचायत भंग होने पर 6 माह के अंदर निर्वाचन होंगे।
4. राज्य की संचित निधि से इन संस्थाओं को अनुदान देने की व्यवस्था की गयी है।
74 वां संविधान संशोधन की मुख्य बातें :-
74 वां संविधान संशोधन नगरपालिकाओं से सम्बंधित है । इसके द्वारा संविधान के भाग 9 क , अनुच्छेद 243 (त से छ तक ) एवं 12 वीं अनुसूची का प्रावधान किया गया है। नगरपालिकाओं को 12 वीं अनुसूची में वर्णित कुल 18 विषयों पर विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई।
1. नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिए 1/3 भाग स्थान आरक्षित है।
2. नगरपालिकाओं में अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
3. नगरीय संस्थाओं का कार्यकाल पांच वर्ष होगा। विघटन की स्थिति में छह माह के अंदर चुनाव कराना है।
नगर निगम का अध्यक्ष महापौर कहलाता है।
महापौर का चुनाव नगर निगम के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
महापौर नगर का प्रथम नागरिक कहलाता है।
निगम आयुक्त नगर निगम का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है।
नगरीय प्रशासन में भी त्रिस्तरीय व्यवस्था का प्रावधान है –
नगर निगम , नगर पालिका और नगर पंचायत
नगर पंचायत – ऐसा ग्रामीण क्षेत्र जो नगर क्षेत्र में परिवर्तित हो रहा हो।
नगर पालिका – छोटे नगर क्षेत्र के लिए।
नगर निगम – बड़े नगर क्षेत्र के लिए।