समास की परिभाषा एवं प्रकार

समास की परिभाषा एवं उदाहरण सहित

समास की परिभाषा –  दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं। जैसे – ‘रसोई के लिए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते हैं। संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं में समास का बहुतायत में प्रयोग होता है।

समास के भेद, 

1. अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. द्रिगु समास
5. द्रन्द्र समास
6. बहुब्रीहि समास

1. अव्ययीभाव समास

जिस समास (Samas) का पूर्वपद अव्यय प्रधान हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं| इसमें अव्यय पद का प्रारूप लिंग, वचन, कारक में नहीं बदलता हैं| वो हमेशा एक जैसा रहता हैं| यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयोग हो वहां पर अव्ययीभाव समास होता हैं|

पहचान– पहला पद अनु, प्रति, भर, यथा, आ, हर इत्यादि होता हैं| उदाहरण-

यथानियम = नियम के अनुसार
प्रतिवर्ष = हर वर्ष
घर-घर = प्रत्येक घर
रातों रात = रात ही रात में
आमरण = मृत्यु तक
यथाकाम = इच्छानुसार
तत्पुरुष समास

2. तत्पुरुष समास

जिस समास (Samas) में बाद का अथवा उत्तरपद प्रधान होता हैं और दोनों पदों के बिच का कारक चिन्ह लुप्त हो जाता हैं, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं| तत्पुरुष समास में अंतिम पद प्रधान होता हैं| उदाहरण-

  • सिकंदराबाद = सिकंदर द्वारा आबाद
  • मदमत्त = माध से मत्त
  • रोगमुक्त = रोग से मुक्त
  • देवालय = देव का आलय
  • शरणागत = शरण में आगत

तत्पुरुष समास के भेद

तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं-

1.कर्म तत्पुरुष समास: इसमें सामासिक शब्द में कर्म कारक की विभक्ति का लोप होता हैं| उदाहरण-
कष्टभोगी = कष्ट को भोगनेवाला
देवगत = देव को गत
गगनचुम्बी = गगन को चूमने वाला
ग्रामगत = ग्राम को गया हुआ
जेबकतरा = जेब को कतरने वाला

2. करण तत्पुरुष समास: इसमें सामासिक शब्द के कारण कारक की विभक्ति का लोप होता हैं| उदाहरण-
तुलसीकृत = तुलसी द्वारा कृत
मनचाहा = मन से चाहा
रसभरा = रस से भरा
भयाकुल = भय से आकुल
सूररचित = सूर द्वारा रचित

3.सम्प्रदान तत्पुरुष समास: इसमें सामासिक शब्द में सम्प्रदान कारक की विभक्ति का लोप होता हैं| उदाहरण-
सत्याग्रह = सत्य के लिए आग्रह
रसोईघर = रसोई के लिए घर
राहखर्च = राह के लिए खर्च
स्नानघर = स्नान के लिए घर
गौशाला = गौ के लिए शाला

4. अपादान तत्पुरुष समास: इसमें सामासिक शब्द में अपादान कारक की विभक्ति का लोप होता हैं| उदाहरण-
भवतारक = भव से तारक
दूरागत = दूर से आगत
धनहीन = धन से हीन
पापमुक्त = पाप से मुक्त
जलहीन = जल से हीन

5.सम्बन्ध तत्पुरुष समास: इसमें सामासिक शब्द में सम्बन्ध कारक की विभक्ति का लोप होता हैं| उदाहरण-
राजकुमारी = राजा की कुमारी
देशवासी = देश के वासी
राजदरबार = राजा का दरबार
गृह स्वामी = गृह का स्वामी
पराधीन = पर के अधीन

6.अधिकरण तत्पुरुष समास: इसमें सामासिक शब्द में अधिकरण कारक की विभक्ति का लोप होता हैं| उदाहरण-
दानवीर = दान में वीर
आपबीती = आप पर बीती
नरोत्तम = नारों में उत्तम
लोकप्रिय = लोक में प्रिय

3.कर्मधारय समास

जिस समास (Samas) में विशेषण और विशेष्य अथवा उपमान और उपमेय का योग होता हैं, उसे कर्मधारय समास कहते हैं| उदाहरण-

चन्द्रमुख = चंद्र जैसा मुख
महात्मा = महान हैं जो आत्मा
देहलता = देह रूपी लता
नवयुवक = नव हैं जो युवक
नीलगगन = नीला हैं जो गगन

4.द्रिगु समास

यदि कर्मधारय समास में प्रथम पद संख्यावाचक विशेषण हो तो उसे द्रिगु समास कहते हैं| इसमें समूह अथवा समाहार का बोध होता हैं| उदाहरण-

सप्तसिंधु = सात सिन्धुओ का समूह
त्रिलोक = तीनो लोको का समाहार
पंचतंत्र = पाँच तंत्रो का समूह
नवनिधि = नौ निधियों का समूह
त्रिभुज = तीन भुजाओं का समूह

5.द्रन्द्र समास

इस समास (Samas) में दोनों ही पद प्रधान होते हैं| इसमें किसी भी पद का गौण नहीं होता हैं| इसमें शब्दों का विग्रह करने पर और, अथवा, या, एवं का प्रयोग होता हैं, उसे द्रन्द्र समास कहते हैं| उदाहरण-

  • माता-पिता = माता और पिता
  • अन्न-जल = अन्न और जल
  • लाभ-हानि = लाभ और हानि
  • पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
  • भला-बुरा = भला और बुरा

6.बहुव्रीहि समास

समास (Samas) में आये पदों को छोड़कर जब किसी अन्य पदार्थ की प्रधानता हो तो उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं| अर्थात बहुब्रीहि समास में दोनो पदों (पूर्वपद और उत्तरपद) में से कोई भी एक पद प्रधान न होकर कोई अन्य पद की प्रधानता को दर्शाता हैं| उदहारण-

दीर्घबाहु = दीर्घ हैं बाहु जिसकी
महावीर = महान हैं जो वीर
गिरिधर = गिरि को धारण करने वाला
प्रधानमंत्री = मंत्रियो में जो प्रधान हैं
निशाचर = निशा में विचरण करने वाला