रस की परिभाषा
रस का शाब्दिक अर्थ है – आनन्द साहित्य को पढ़ने, सुनने या नाटकादि को देखने से जो आनन्द की अनुभूति होती है, उसे ‘रस’ कहते हैं। रस के चार अंग रस के मुख्य रुप से चार अंग माने जाते हैं, जो निम्न प्रकार … 1. स्थायीभाव2. विभाव3. अनुभाव4. व्यभिचारी अथवा संचारी 1. स्थायी भाव स्थायी […]